"रिश्ते"
छोटे छोटे पत्तों ने,
जब शाखों को छोड़ा होगा,
कभी दर्द हुआ,कभी टीस उठी,
दिल उनका भी रोया होगा!
आँचल जिसको थमा था कभी,
अधखुले से कभी किसी उजियारे में,
छूट गया कैसे उससे,घुलते से किसी अंधियारे में!
जब भी कभी हलचल होती,
उस की बूँदें गिरने से,
धुप की गर्मी सहने से,
या ठंडी हवा के बहने से,
परछाई को बना आँचल उसने
हलचल पे दिया पहरा होगा,
कभी दर्द हुआ कभी टीस उठी,
दिल उनका भी रोया होगा!!
नियम है तो ये कैसा है ?
क्यों दूरी ये अपनाई है,
या दर्द का ये पैमाना है-
या रिश्तों की गहराई है?
यूँ सिसक के आँहें भरना है
उसने न कभी सूचा होगा
कभी दर्द हुआ,कभी टीस उठी
दिल उनका भी रोया होगा !!
No comments:
Post a Comment